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शारदा सिन्हा: भोजपुरी गायन की महानायक का 71 वर्ष की अवस्था में निधन


 

शारदा सिन्हा: भोजपुरी गायन की महानायक का 71 वर्ष की अवस्था में निधन

 

लोक गायिका शारदा सिन्हा ने 71 साल की उम्र में दिल्ली के AIIMS अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनके बेटे अंशुमन सिन्हा ने सोशल मीडिया पर यह पुष्टि की है.

बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन हो गया है। 71 वर्ष की उम्र में उन्होंने दिल्ली के AIIMS अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके बेटे अंशुमन सिन्हा ने सोशल मीडिया पर इस बात की पुष्टि की है। शारदा सिन्हा की तबीयत बिगड़ने पर 26 अक्टूबर को उन्हें AIIMS में भर्ती कराया गया था, और 4 नवंबर की शाम को उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।

शारदा सिन्हा के बारे में

शारदा सिन्हा भोजपुरी संगीत की दुनिया की एक प्रसिद्ध और सम्मानित गायिका हैं। उनका नाम भारतीय संगीत जगत में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के भोजपुर जिले के एक छोटे से गांव, दरौली में हुआ था। वे अपनी मीठी और सुर में ढलती आवाज़ के लिए प्रसिद्ध हैं, जो सीधे दिल में उतर जाती है।

शारदा सिन्हा का संगीत से जुड़ाव बचपन से था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दरौली के गांव में ही प्राप्त की और बाद में पटना में संगीत की शिक्षा ली। शारदा सिन्हा को विशेष पहचान भोजपुरी लोक गीतों और भजन-कीर्तन गाने के लिए मिली। उनकी गायन शैली में पारंपरिक भोजपुरी संगीत और आधुनिकता का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। उनकी गायकी में भोजपुरी लोक संगीत की मिठास और भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराई दोनों ही झलकती हैं।

शारदा सिन्हा के कार्य

Sharda sinha

शारदा सिन्हा को भोजपुरी संगीत की “क्वीन” (रानी) के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने भोजपुरी फिल्मों के अलावा धार्मिक गीतों, काव्य वाचन, और लोक संगीत को भी अपनी आवाज़ दी। उनके गायन में हर गीत में एक अलग ही आकर्षण और कशिश होती है। “भोजपुरी सिनेमा” के इतिहास में उनका योगदान अमूल्य है। वे “व्रत गीत”, “होली गीत”, और “बिहारी गीत” जैसी विभिन्न शैलियों में अपने गीत गाती हैं। उनकी आवाज़ में वह शक्ति और भावनात्मक गहराई है, जो श्रोताओं के दिलों को छू जाती है।

उनकी प्रसिद्धि का एक बड़ा कारण है उनका गीत “हुइल बा जवानी के रेल” और “कोहरा में ललनवा”। इन गीतों ने भोजपुरी संगीत के नए आयाम की नींव रखी। शारदा सिन्हा का संगीत भोजपुरी संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने का काम करता है। इसके साथ ही उन्होंने अपने गायन से बिहार और उत्तर भारत की लोक धारा को नई दिशा दी।

शारदा सिन्हा को पुरस्कार

 

शारदा सिन्हा को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले हैं, जिनमें “आल इंडिया रेडियो” के पुरस्कार, “संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार”, और “पटना फिल्म फेस्टिवल” जैसी प्रतिष्ठित सम्मान शामिल हैं। उनकी गायकी में श्रोताओं के प्रति एक सच्ची श्रद्धा और प्रेम दिखाई देता है, जो उन्हें एक अद्वितीय कलाकार बनाता है।

आज भी शारदा सिन्हा का नाम भोजपुरी संगीत के क्षेत्र में सम्मान और श्रद्धा से लिया जाता है। वे न केवल एक गायिका, बल्कि भोजपुरी संगीत की संस्कृति की संरक्षक भी हैं। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।


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