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स्विट्जरलैंड ने भी लगाया बुर्के पर प्रतिबंध.1 जनवरी 2025 से लागू!


स्विट्जरलैंड ने भी लगाया बुर्के पर प्रतिबंध.1 जनवरी 2025 से लागू!

स्विट्जरलैंड ने लगाया बुर्के पर प्रतिबंध

स्विट्जरलैंड ने भी 1 जनवरी 2025 से बुर्का और चेहरा ढकने वाले अन्य परिधानों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। स्विस सरकार का मानना है कि यह कदम सार्वजनिक सुरक्षा को बढ़ावा देगा और महिलाओं को समाज में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करेगा।

स्विट्जरलैंड की संसद ने इस कानून को पारित किया, जिसके तहत सार्वजनिक स्थानों और निजी कार्यालयों में चेहरा ढकने पर 1,000 स्विस फ्रैंक (लगभग 91,000 रुपये) तक का जुर्माना लगाया जाएगा। स्विस मतदाताओं ने 2021 में इस प्रतिबंध को मंजूरी दी थी, जिसके बाद कई प्रदर्शन और विरोध भी हुए थे।

कई महिला संगठनों ने इस प्रतिबंध का विरोध किया और इसे बेकार, नस्लवादी और लिंगभेदी बताया, लेकिन इसके बावजूद संसद ने इसे मंजूरी दे दी। स्विस सरकार का मानना है कि यह कानून महिलाओं को समाज में स्वतंत्रता और समानता प्रदान करेगा और उन्हें एक सक्रिय नागरिक बनने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

अन्य देशों ने लगाया है बुर्के पर प्रतिबंध

बुर्का बैन पर विभिन्न देशों द्वारा लागू प्रतिबंध पिछले कुछ वर्षों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। कई देशों ने सुरक्षा, समानता और महिला सशक्तिकरण जैसे कारणों को आधार बनाकर सार्वजनिक स्थानों पर चेहरे को ढकने वाले परिधानों पर प्रतिबंध लगाए हैं। इस लेख में हम विभिन्न देशों द्वारा उठाए गए इस तरह के कदमों, उनके कारणों और इसके सामाजिक प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।

फ्रांस: बुर्के पर प्रतिबंध लागू करने वाला पहला देश

बुर्का बैन की शुरुआत फ्रांस से हुई, जिसने 2010 में सार्वजनिक स्थानों पर चेहरे को ढकने वाले परिधानों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का कानून बनाया। फ्रांस का यह कदम महिला सशक्तिकरण, समानता, और सार्वजनिक सुरक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया था। फ्रांसीसी सरकार का मानना था कि यह महिला अधिकारों की सुरक्षा और धार्मिक तटस्थता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

फ्रांस की संसद ने इसे महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए जरूरी बताया, और साथ ही इसे सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक माना। इस कानून का व्यापक प्रभाव यूरोप और दुनिया भर के अन्य देशों पर पड़ा। फ्रांस के इस कदम ने अन्य देशों को भी इसी तरह के कानून बनाने के लिए प्रेरित किया, ताकि वे अपनी सीमाओं के भीतर समानता और सुरक्षा की स्थापना कर सकें।

बेल्जियम: सार्वजनिक सुरक्षा के लिए लगाया बुर्के पर प्रतिबंध

फ्रांस के बाद, 2011 में बेल्जियम ने भी सार्वजनिक स्थानों पर चेहरे को ढकने वाले परिधानों पर प्रतिबंध लागू किया। बेल्जियम की सरकार ने सार्वजनिक सुरक्षा का हवाला देते हुए यह कदम उठाया। उनका मानना था कि चेहरे को ढकना एक प्रकार की सुरक्षा चुनौती हो सकता है, क्योंकि इससे व्यक्ति की पहचान छिपी रहती है।

बेल्जियम का बुर्का बैन कानून उन सभी सार्वजनिक स्थानों पर लागू किया गया जहां नागरिकों के बीच सामान्य संपर्क और बातचीत होती है। बेल्जियम की सरकार का कहना था कि यह कानून सुरक्षा कारणों से जरूरी है, ताकि किसी भी प्रकार के आपराधिक कार्य को रोका जा सके और नागरिकों को सुरक्षित माहौल दिया जा सके।

हॉलैंड: शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बुर्के पर प्रतिबंध

फ्रांस और बेल्जियम के बाद, 2015 में हॉलैंड ने सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहनने पर आंशिक प्रतिबंध लागू किया। हॉलैंड ने यह प्रतिबंध स्कूलों, अस्पतालों, सार्वजनिक परिवहन, और सरकारी कार्यालयों में लागू किया, जहाँ आम जनता और सरकारी अधिकारियों के बीच सीधा संवाद होता है।

हॉलैंड का यह निर्णय उन स्थानों तक सीमित है जहाँ चेहरे का खुला होना आवश्यक माना गया है, ताकि एक पारदर्शी और सुरक्षित संवाद की स्थिति बन सके। हॉलैंड की सरकार का मानना था कि सार्वजनिक स्थलों पर पहचान छिपाने की अनुमति देने से सुरक्षा में बाधा आ सकती है, खासकर शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में।

जर्मनी: चुनिंदा सार्वजनिक स्थानों पर बुर्के पर प्रतिबंध

जर्मनी में भी चेहरे को ढकने वाले परिधानों पर आंशिक प्रतिबंध लागू किया गया है, हालांकि यह कुछ विशिष्ट सार्वजनिक स्थानों तक सीमित है। जर्मनी का मानना है कि यह प्रतिबंध महिलाओं को अधिक स्वतंत्र और सशक्त बनाने में सहायक हो सकता है, ताकि वे समाज में खुलकर भाग ले सकें।

जर्मनी की सरकार ने इस प्रतिबंध को आपराधिक न्याय, सरकारी कार्यों, और सुरक्षा के क्षेत्र में लागू किया है। उनका मानना है कि इससे समाज में एक सकारात्मक संदेश जाएगा और महिलाएं खुलकर अपनी पहचान व्यक्त कर सकेंगी।

ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, और नॉर्वे: सार्वजनिक सुरक्षा के लिए बुर्के पर प्रतिबंध(burqa ban)

ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और नॉर्वे ने भी सार्वजनिक स्थलों पर बुर्का बैन को लागू किया है। इन देशों का मानना है कि चेहरे को ढकना पहचान छुपाने का एक तरीका हो सकता है, जो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।

इन देशों ने यह निर्णय सुरक्षा के दृष्टिकोण से लिया है, ताकि नागरिकों को एक सुरक्षित माहौल में रहने का अवसर मिल सके। इसके अतिरिक्त, यह निर्णय महिलाओं को स्वतंत्रता और समानता देने का एक प्रयास भी है। इन देशों की सरकारें मानती हैं कि महिलाएं सक्रिय रूप से समाज में भाग लेकर अपनी भूमिका निभा सकती हैं।

मध्य-पूर्व और अफ्रीका में बुर्के पर प्रतिबंध के विविध दृष्टिकोण

यूरोप के अलावा, बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध का मुद्दा मध्य-पूर्व और अफ्रीका के कुछ देशों में भी देखा गया है। इन क्षेत्रों में परंपरागत और सांस्कृतिक कारणों से भी कई स्थानों पर ऐसे प्रतिबंध लगाए गए हैं।

हालांकि, इन देशों में बुर्का बैन को लेकर विभिन्न दृष्टिकोण पाए जाते हैं। कुछ देश इसे सांस्कृतिक संरक्षण के रूप में देखते हैं, जबकि कुछ अन्य देश इसे धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों के खिलाफ मानते हैं। इस प्रकार, इन क्षेत्रों में बुर्का बैन का मुद्दा संवेदनशील और विवादास्पद बना हुआ है।

निष्कर्ष

बुर्का बैन का मुद्दा विश्व स्तर पर विभिन्न देशों में बहस और विवाद का कारण बना हुआ है। यूरोप में फ्रांस, बेल्जियम, हॉलैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, और नॉर्वे जैसे देशों ने इसे सार्वजनिक सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण, और समानता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू किया है। वहीं, मध्य-पूर्व और अफ्रीका में इसे विभिन्न दृष्टिकोणों के साथ देखा गया है।

स्विट्जरलैंड का बुर्का बैन निर्णय भी इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक सुरक्षा और महिलाओं को सशक्त बनाना है। बुर्का बैन पर लगे इन प्रतिबंधों ने महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके सामाजिक अधिकारों पर महत्वपूर्ण बहस छेड़ दी है।

हालांकि, इन कानूनों पर विरोध भी हुआ है, लेकिन यह स्पष्ट है कि इन देशों ने अपने नागरिकों की सुरक्षा और महिलाओं की स्वतंत्रता को प्राथमिकता देने का प्रयास किया है। समय के साथ, इन प्रतिबंधों का प्रभाव और समाज पर इसके व्यापक प्रभाव को देखा जा सकेगा।

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