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janjankikhabar

“असतो मा सद्गमय"

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*दो रोग……..!*

*दो रोग……..!* आज के दौर में लाइलाज हो गए हैं…. दो रोग…! खूब ढेर सारा पैसा कमाना….और… जल्दी से “फेमस” हो जाना…. मित्रों…उम्र के किसी भी पड़ाव पर… लग सकते…

*समरथ को नहिं दोष गुसाईं….!

*समरथ को नहिं दोष गुसाईं….! गाँव-देश में अपने….! जीत के कोई बाजी… कुटिल हँसी जो हँसता है…और… लगातार…पान पर पान चबाता है…. असली बाजीगर वह कहलाता है…. जाने क्यों ऐसा…

*कैसी ये कमाई है……!*

*कैसी ये कमाई है……! मेहनत करके पद पाया, पाई इज्जत और प्रतिष्ठा…. सुरूर चढ़ा कुछ ऐसा मन में, बलवती हुई…दबी सब ईच्छा… भूल गया सब मान-मनौती, भूला सब देवी-देवता…. भूल…

होली की बेला पर

*होली की बेला पर……!* चढ़ा है…..फागुन का वेग प्रचण्ड…. छिड़ा है…हर ओर होली का प्रसंग… यारों सब निकलो मिल करके संग, कितनी ही हो गलियाँ….! अपने गाँव-देश की तंग…. इतना…

जीभ चटपटी…सोच अटपटी…!

जीभ चटपटी…सोच अटपटी… जीभ चटपटी थी….या फिर…. हम सबकी सोच अटपटी थी… याद नहीं अब आता… पर…सच मानो….! बचपन में जब भी देखा हमने… ठेले पर बिकता चाट-बतासा… पूरे ठेले…