उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ की जी के द्वारा उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग में की गई दो भर्तियां 68000 और 69000 ने पूरे बेसिक शिक्षा विभाग को जिंदा कर दिया। ध्यान देने योग्य बात है कि एक समय था जब बेसिक शिक्षा की प्रासंगिकता पर सवाल खड़ा किया जा रहा था लोग यह पूछ रहे थे कि यह बेसिक शिक्षा विभाग क्यों ? विद्यालय में स्वेटर बुनने की घटनाएं प्रायः सोशल मीडिया पर आ ही जाती थी। पढ़ाई के नाम पर शून्य बटा सन्नाटा हो गया था इसका कारण और शिक्षकों के गुणवत्ता पर भी सवाल था शिक्षकों की नियुक्ति पर भी प्रश्न चिन्ह थे।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के बेसिक शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन हेतु कमर कसी। बेसिक शिक्षा विभाग को कायाकल्प करने के लिए सघन अभियान चलाए गए, ढांचागत सुधार के लिए मिशन कायाकल्प शुरू किया गया जिसमें 18 पैरामीटर तय किए गए जिसमें, ब्लैक बोर्ड, पानी की व्यवस्था, दिव्यांगों, महिलाओं, बच्चियों के लिए शौचालय एवं मूत्रालय की व्यवस्था ऐसे 18 पैरामीटर सेट किए गए। जिसने बेसिक शिक्षा विभाग के ढांचागत विकास में क्रांतिकारी परिवर्तन किया।तदोपरांत शैक्षिक गुणवत्ता सुधार हेतु विगत 7 वर्षों से लगातार प्रशिक्षणों के माध्यम से अध्यापकों के गुणवत्ताओं में सुधार किया गया।पहले प्रेरणा लक्ष्य स्थापित किया गया उसके बाद निपुण भारत अभियान चलाया गया। जिससे बच्चों के साथ-साथ अध्यापकों पर भी एक अंकुश लगा कि हमें इनको सिखाना ही है और अध्यापक भी पूरी मेहनत और तन्मयता के साथ बच्चों को निपुण करने में लगे हुए हैं। बहुत सारे विद्यालय निपुण हो चुके हैं। उसके बाद बेसिक शिक्षा में डीबीटी नामक योजना आई। डीबीटी शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बन गई लेकिन विषम परिस्थिति में शिक्षक बच्चों के माता-पिता का आधार सही करवाना, बच्चों का आधार सही करवाना, उनका जन्मपत्री बनवाना, निवास प्रमाण पत्र बनाना, जाति प्रमाण पत्र बनवाना, इन सब में व्यक्तिगत रूप से इंवॉल्व होकर अध्यापकों ने एक डाटा का सुधार की प्रक्रिया पूरे उत्तर प्रदेश में किया है। इन सब में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाला कोई अध्यापक हुआ तो वह जो 68000एवं69000 की भर्ती हुआ अध्यापक। क्योंकि वह कैसा विद्यार्थी था वह इलाहाबाद ,लखनऊ दिल्ली में तैयारी करने वाला आइएएस और पीसीएस की तैयारी करने वाला पीएचडी करने वाला, नेट जेआरएफ क्वालीफाई होने वाला विद्यार्थी था ऐसे में जब वह दो परीक्षा देकर बेसिक शिक्षा विभाग को ज्वाइन किया।वह शैक्षिक और तकनीकी सभी क्षेत्रों में माहिर था और उसने पूरा गुणात्मक परिवर्तन किया बेसिक शिक्षा में आज स्थितियां परिवर्तित हो गई हैं।अब बेसिक शिक्षा विभाग के प्रति लोगों के मानसिकताएं बदली हैं अब अच्छे-अच्छे घरों के बच्चे लोग अपने बच्चों को बेसिक शिक्षा में नामांकन कर रहे हैं। इसके निःसंदेह पूरा श्रेय योगी आदित्यनाथ जी को जाता जिन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों का चयन करवाया नहीं तो बेसिक शिक्षा विभाग में अब नामांकन शून्य हो गया होता।लेकिन इन दोनों भर्तियों को किसी-किसी मुद्दे को लेकर विवादित करने का प्रयास किया गया कभी आरक्षण को लेकर कभी अन्य विषय को लेकर। 69000 अध्यापक जो चयनित हुए है उनका लगातार 4 वर्षों से समय-समय पर उनका मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया जा रहा है उनके ऊपर रोज तलवार की धार लटकी हुई है कब उन्हें निकाल दिया जाएगा किसी को कुछ पता नहीं है ऐसे भाव के साथ कोई अध्यापक क्या अध्यापन कार्य करेगा। कोर्ट को भी इस दिशा में सकारात्मक निर्णय लेना चाहिए जो अध्यापक 4 साल से पढ़ा रहा है किसी लोन लिया है, घर बनवा लिए हैं,शादी-व्याह की जिम्मेदारियों में बध गए हैं। सभी लोग अपनी पढ़ाई छोड़ चुके हैं उनकी इसमें क्या गलती है? समाज को इस दिशा में सोचना चाहिए। ऐसी परिस्थितियों में नौकरी से निकला जाना उनको मृत्युदंड देने के समान है। ऐसे में सरकार से यही आग्रह है कि वह चयनित अध्यापकों को ना निकले कोई वैकल्पिक व्यवस्था करके इस समस्या का समाधान निकाले।