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“असतो मा सद्गमय"

अमेजन और फ्लिपकार्ट समेत कई ई-कॉमर्स कंपनियों पर ED के छापे!

Byjanjankikhabar.com

Nov 7, 2024

अमेजन और फ्लिपकार्ट समेत कई ई कॉमर्स कंपनियों पर ED के छापे।

नई दिल्ली।

 

ई-कॉमर्स की सहयोगी कंपनियों पर कार्रवाई।फेमा उल्लंघन मामले में ED की बड़ी कार्रवाई AMAZON,FLIPKART से जुड़ी कंपनियों पर कार्रवाई।करीब ₹50,000 Cr के फेमा उल्लंघन का मामला।दिल्ली, हैदराबाद, बंगलुरु, मुंबई इन 4 शहरों के 21 लोकेशन पर ED का सर्च ऑपरेशन।अपीरियो रिटेल,दर्शिता रिटेल, आशियाना रिटेल, श्रीयस रिटेल पर ED की कार्रवाई।

Flipkart

आज प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देश में कई स्थानों पर ई-कॉमर्स कंपनियों, विशेषकर फ्लिपकार्ट और अमेजन से जुड़े विक्रेताओं पर मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी गतिविधियों के संदेह में छापेमारी की। रिपोर्टों के अनुसार, ईडी ने भारत के विभिन्न प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु में लगभग 24 स्थानों पर छापे मारे हैं। बताया जा रहा है कि इस छापेमारी का उद्देश्य विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन की जांच करना और संभावित मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों से जुड़े साक्ष्य एकत्र करना है, जो इन ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के माध्यम से की जा सकती हैं। हालाँकि, फ्लिपकार्ट और अमेजन ने इस मामले पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

यह पहली बार नहीं है जब इन ई-कॉमर्स कंपनियों को इस प्रकार की जांच का सामना करना पड़ा है। इससे पहले भी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने दोनों कंपनियों पर जांच की थी। सीसीआई की एक जांच में यह पाया गया कि अमेजन और फ्लिपकार्ट ने अपने प्लेटफार्मों पर कुछ विशेष विक्रेताओं का पक्ष लेकर स्थानीय प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन किया था। इससे इन कंपनियों के व्यापार करने के तरीकों पर सवाल उठे हैं और यह माना गया है कि इनकी नीतियाँ छोटे और स्वतंत्र विक्रेताओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण हो सकती हैं।

 

‘डार्क पैटर्न’ से जुड़े मुद्दे की जांच

ईडी द्वारा की जा रही इस कार्रवाई के अलावा, भारत में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) भी ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ कई मामलों की जांच कर रहा है। इनमें एक महत्वपूर्ण मुद्दा है ‘डार्क पैटर्न’ का उपयोग। डार्क पैटर्न का मतलब ऐसी भ्रामक डिजिटल तकनीकों से है, जो उपभोक्ताओं को ऐसी क्रियाओं में उलझा देती हैं जिनका वे मूलतः इरादा नहीं रखते। उदाहरण के तौर पर, ग्राहक बिना जान-बूझकर वस्तुओं या सेवाओं के लिए भुगतान कर सकते हैं जिन्हें वे खरीदना नहीं चाहते। इस प्रकार के भ्रामक उपाय उपभोक्ताओं के लिए समस्याएं खड़ी करते हैं और उनकी स्वतंत्रता और पसंद का उल्लंघन करते हैं।

“डार्क पैटर्न” को लेकर सरकार की एडवाइजरी जारी

Amazon

इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने हाल ही में ऑनलाइन प्लेटफार्मों के ‘डार्क पैटर्न’ को नियंत्रित करने के लिए एक गाइडलाइन का मसौदा भी जारी किया है। इस ड्राफ्ट गाइडलाइन का उद्देश्य उपभोक्ताओं को इन भ्रामक तकनीकों से बचाना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। डिजिटल इंडिया एक्ट के तहत यूजर्स की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कुछ विशेष सुरक्षा प्रावधान भी लागू करने की योजना बनाई है। इसके अतिरिक्त, सरकार का यह भी प्रयास है कि उपभोक्ताओं को नकली ऑनलाइन रिव्यू से बचाया जाए ताकि वे सही जानकारी के आधार पर अपने निर्णय ले सकें।

जनता के हित में निर्णय

ईडी द्वारा की जा रही छापेमारी और सरकार द्वारा तैयार की जा रही गाइडलाइन यह संकेत देते हैं कि भारत सरकार ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों की गतिविधियों पर गंभीर नजर बनाए हुए है। सरकार उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा और ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठा रही है।

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