• Tue. Jan 14th, 2025

janjankikhabar

“असतो मा सद्गमय"

*ई ससुरी जाड़ा…..!*

Byjanjankikhabar.com

Jan 11, 2025

*ई ससुरी जाड़ा…..!*

सुना रे भैया….!
बहुतै पढ़ावै ले पहाड़ा…
ई ससुरी जाड़ा…
कफ़-पित्त-वायु तीनों के,
कई देवै ले ई गाढ़ा….
बैद-हकीम सब इलाज़ बतावै,
पिया गरम-गरम तू देसी काढ़ा….
सुबह-शाम खूब मेहनत कै ला,
घर-दुआर मन से झाड़ा…आउर…
दरवाजे पर बारा कौड़ा,
करा उहीं पै पंचायत तू तगड़ा….
आलू भूँजा…भूँजा शकरकन्दी…
संग में रखा धनिया कै चटनी
अउर ले उंखी के रस दुइ लोटा…
फिर तनिक बात-बतकही में
सुरती-चूना खुद गदोरी पै रगड़ा….
फिर मारि के एक-दुई पिचकारी
लोटा ग्राम रजाई में होके चौड़ा…
बस…मत केहू से तू लड़ा-भिड़ा….
मत केहू के समने तनिको अड़ा…
नाहीं त हाथ-गोड़ कै सबै जोड़…!
होय जइहैं सब आड़ा-तिरछा..अउर..
बल भर के सताई ई ससुरी जाड़ा….
अऊर बताई का तोहके बबुना…!
भर जाड़ा कसले रहा तू आपन नाड़ा
खेत-खलिहान खूबै घूमा-दौड़ा,
लेके खुरपी-कुदार-फावड़ा….
नाहीं त पक्का जाना…
बन जईबा तू अपने बाड़े कै पाड़ा…
छींकत-खाँसत ही बितिहैँ…
ईहू साल के जाड़ा….
आँखिन मा तोहरे कीचड़ मिलिहैं,
जैसे लागल होय पुरनका माड़ा….
काम कोर्ट-कचहरी कै भी,
बिगरि-बिगरि सब जईहैं…
बेकार ही चलि जइहैं तोहार…
सब किराया औ भाड़ा….
बस यहि ख़ातिर ही….
मैं हरदम बोल्यूँ औ समझाऊँ…
बहुतइ पढ़ावै ले पहाड़ा…
ई ससुरी जाड़ा…. ई ससुरी जाड़ा….

रचनाकार….
जितेन्द्र कुमार दुबे
अपर पुलिस उपायुक्त, लखनऊ


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *